लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?
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लेखिका को नीलकंठ का गरदन ऊँची कर देखना, मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना और पानी-पीना तथा गरदन टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि चेष्टाएँ बहुत भाती थीं।
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नीलकं ठ देखनेमेंबहत सुंदर था वैसेतो उसकी हर बात ही अपनेआप मेंआकर्षक थी लेककन महादेवी को
गदषन ऊुँ ची करके देखना, कवशेर् भंकगमा के साथ गदषन नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, गदषन को टेढी करके
शब्द सुनना, मेघोंकी गजषन ताल पर उसका इंद्रधनुर् के गुच्छेजैसेपंखोंको मंडलाकार बनाकर तन्मय नृत्य
करना, महादेवी के हाथोंसेहौले-हौलेचनेउठाकर खाना तथा उनके सामनेपंख फै लाकर खड़ेहोना।
अत्यकधक भाता था ।
Explanation: in english-Neelkanth was very beautiful to see, although everything was attractive in itself, but Mahadevi
looking up at the neck, picking the grain by lowering the neck with a special gesture, drinking water, sloping the neck
Listening to the words, dancing on the thunder of the clouds, making its wings like the bunches of a rainbow in a circle.
To do, eat by lifting them slowly from the hands of Mahadevi and standing in front of them with wings spread.
was very much liked.