लेखिका के पिता जी सयानी बआ के बारे में क्या क्या बताते थे?
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mchatterjee
Mchatterjee★ Brainly Teacher ★
सयानी बुआ कहानी में सयानी बुआ लेखिका की अपनी बुआ थी। जो हर काम को समय से करना ज्यादा पसंद करती थी।वह काफी कठोर थी। सबसे अपनी बात मनवाने में माहिर थी। अनावश्यक चीजों का दुरूपयोग उनको पसंद नहीं था।
वह स्वयं स्कूल में एक पेंसिल को जब तक छोटा होकर हाथ में न आ जाए गुस्से लिखती थी। रबर को भी ५-६ साल तक चलाती थी। चीजों को संभाल कर रखना वह खूब जानती थी।
लेखिका को अपनी बुआ के बारे में पिताजी से पता चला ।वह भी सयानी बुआ से बहुत डरती थी। एक दिन उनके पिताजी ने आगे की पढ़ाई के लिए उनको सयानी बुआ के यहां भेज दिया।
लेखिका सहमी सहमी गई थी। परिस्थिति सच में बहुत गंभीर थी। सयानी बुआ साफ सफाई बहुत पसंद करती थी। एक बार एक नौकर ने उनके ५ रूपयों के कांच के डब्बे को तोड़ दिया था तो उन्होंने उस बच्चे की बहुत पिटाई की थी।
सयानी बुआ की बेटी अन्नू बहुत उदास रहती थी। अपनी मां की डर से। एक दिन वह बीमार पड़ गई थी जो पहाड़ी परिवेश में जाकर ही ठीक हो पाता।
सयानी बुआ ने जा पाए इसलिए डाक्टर ने मां को जाने से मना किया था। रोते हुए बुआ अनु की विदाई कर रही थी। पहली बार मां की ममता लेखिका को नज़र आई।
सयानी बुआ अन्नू की खाने के मैनू, उसके कपड़े सब तैयार कर दिए थे और ५०रूपये के कप सेट को तोड़ ने मना किया था। मगर वह कप सेट टूट जाता। इसका संदेशा जब सयानी बुआ को मिलता है तो वह बहुत हंसती है।