लेखिका को यह एहसास कब होने लगा , कि उसे गिल्लू को आज़ाद कर देना चाहिए?
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लेखिका ने देखा कि वसंत के आगमन के साथ ही बाहर की कुछ गिलहरियां खिड़की की जाली के पास आकर चिक -चिक करने लगी हैं। गिल्लू भी जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकता रहता। तब लेखिका को लगा कि शायद वह आजाद होना चाहता है। अतः लेखिका ने खिड़की की जाली के एक कोने से कीले निकालकर कोना पूरी तरह खोल दिया। यह रास्ता गिल्लू की आजादी के लिए खोला गया था। लेखिका द्वारा मुक्त किए जाने पर गिल्लू बहुत खुश दिखाई दिया। लेखिका जब घर से बाहर जाती तो गिल्लू खिड़की की जाली के रास्ते बाहर निकल जाता और जब लेखिका को घर आया देखता तो उसी रास्ते से वापस घर में आ जाता था।
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