लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभा
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लेखिका ने अपनी नानी के बारे में घर के अन्य लोगों से बहुत कुछ सुना था। लेखिका की नानी अपने पति के जीवन में किसी भी प्रकार का दखल नहीं देती थीं। लेकिन वह घर की चारदीवारी में भी रहकर अपने ढ़ंग से जीवन जीती थीं। जब लेखिका की माँ की शादी की बात आई तो उनकी नानी ने अपनी बात बड़े ही अधिकार से मनवा लीं। इसलिए लेखिका अपनी नानी के व्यक्तित्व से प्रभावित थीं।
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लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था, किंतु उनके बारे में सुना अवश्य था। उसने सुना था कि उसकी नानी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी। उस भेट में उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से करवाना चाहती हैं, अंग्रेजों के किसी भक्त से नहीं। उनकी इस इच्छा में देश की स्वतंत्रता की पवित्र भावना थी। यह भावना बहुत सच्ची थी। इसमें साहस था। जीवन भर परदे में रहकर भी उन्होंने किसी पर पुरुष से मिलने की हिम्मत की। इससे उनके साहसी व्यक्तित्व और मन में सुलगती स्वतंत्रता की भावना का पता चला। लेखिका इन्हीं गुणों के कारण उनका सम्मान करती है।