Hindi, asked by jasleen9754, 8 months ago

लेखिका व गिल्लू के आत्मिक संबंधों पर प्रकाश डालिए pla reply in Hindi ​

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Answered by aradhanatiwari9795
31

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Explanation:

गिल्लू वास्तव में एक अत्यधिक संवेदनशील प्राणी था और उसे महादेवी से गहरा लगाव था। पाठ के अंतर्गत इसके कई प्रमाण विद्यमान हैं।

जब भी लेखिका अपना कमरा खोलकर अंदर घुसती थीं, तो गिल्लू उनके शरीर पर ऊपर से नीचे झूलने लगता था, लेकिन यदि कोई अन्य व्यक्ति अंदर आता तो वह ऐसा नहीं करता था।

गर्मियों के दिनों में वह लेखिका के पास रहने के लालच में उनके पास रखी सुराही के साथ चिपका रहता था।

गिल्लू ने लेखिका के अस्वस्थ रहने के दौरान एक परिचारिका की तरह उपचार में अपनी ओर से यथासंभव भूमिका निभाई।

लेखिका की अस्वस्थ स्थिति में अस्पताल में रहने के दौरान गिल्लू ने अपना मनपसंद भोजन काजू खाना कम कर दिया।

अपने अंतिम समय में गिल्लू ने लेखिका की उंगली पकड़ ली।

लेखिका भी उसका पूरा ध्यान रखती :-

जब गिल्लू को चोट लगी तो लेखिका ने उस पर पेंसिलिन लगाया।

उसको भूख भूख लगने पर दूध में रुई भिगोकर उसको पिलाया।

लेखिका ने उसका पूरा ध्यान रखा और जब वह ठीक हो गया तो लेखिका ने उसके लिए झूला भी लगाया जिस पर उसको झूलना पसंद करता था।

लेखिका हमेशा उसके लिए काजू और बिस्किट लगती तो उसको बहुत पसंद था या उन दोनों के गहरे संबंध को दर्शाता है कि वह दोनों एक दूसरे का कितना ख्याल रखते थे।

Answered by komalchoudhary1908
5

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Explanation:

गिल्लू का महादेवी वर्मा से बहुत लगाव था वह लेखिका को ध्यान आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की शरारते तब तक किया करता जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती। इसलिए कभी-कभी लेखिका गिल्लू की शरारतों से परेशान हो उसे एक लम्बे लिफाफे में इस तरह रख देतीं कि सिर के अतिरिक्त उसका शेष शरीर लिफाफे के अंदर रहे। गिल्लू इसी स्थिति में मेज पर दीवार के सहारे घंटो खड़ा रहकर लेखिका के कार्यो को देखता। काजू या बिस्कुट देने पर उसी स्थिति में लिफाफे के बाहर वाले पंजो से पकड़कर उन्हे कुतर-कुतर कर खाता।

जब गिल्लू के जीवन का पहला बंसत आया तब बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक की आवाज़ करके मानो कुछ कहने लगीं। गिल्लू भी जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झाँकता रहता। तब लेखिका को लगा कि इसे मुक्त करना आवश्यक है। इसलिए कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। ऐसे लगा कि गिल्लू ने इससे बाहर जाकर जैसे मुक्ति की सांस ली। लेखिका के हृदय में जीवों के प्रति दया का भाव था वह उनकी इच्छाओं का सम्मान करती थी। वह पशु-पक्षियों को किसी बंधन या कैद में नहीं रखना चाहती थी। जब उन्हें महसूस हुआ कि गिल्लू बाहर जाना चाहता है तो उन्होंने उसे बाहर जाने के लिए स्वयं रास्ता दे दिया।

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