CBSE BOARD X, asked by kotamanjusha, 1 month ago

लाख मंदिर जा के घंटियाँ तू बजा,
लाख माथे पर तू तिलक लगा,
लाख तू आरती के थाल सजा,
सब कुछ परंतु व्यर्थ है।
जो माँ-बाप का दिल तूने दिया दुखा
जो माँ-बाप का दिल तूने दिया रूला
लाख तू दान-पुण्य कमा
लाख तू गंगा-स्नान को जा
लाख ग्रंथ-पोथी पढ़-पढ़ के तू सुना
सब कुछ परंतु व्यर्थ है।
नतमस्तक हो जाता है वो दाता वो परमेश्वर
कुछ करना है तो माँ-बाप की सेवा कर
जाग जाएगा तेरा सोया मुकद्दर
अभी कुछ नहीं बिगड़, जा उनके चरणों से लिपट जा
असली पुण्य यहीं है, अगर कमा सकता है तो इसे कमा ।
प्रश्न:
(1) इस काव्यांश का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(2) किनकी सेवा करना भाग्य की बात कही गई है?
(3) किन बातों को व्यर्थ कहा गया है?
(4) 'मुकद्दर' शब्द के पर्यायवाची शब्द लिखिए ।
(5) काव्यांश का शीर्षक क्या हो सकता है?

Answers

Answered by dy811438
0

Answer:

1

ma baap ki sewa me sabb kuch hai mandir masjid me kuch nai rakha

2 ma baap ki

3 mandir me aari etc...

4

5 matratva pitratav

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