लिखित :-
बाबा भारती ने खाड्कसिंह से सुलतान की प्रशंसा किन
शब्दो में की?
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बाबा भारती ने घोड़े सुल्तान का अनुमोदन करते हुए कहा -
वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान|
उसके जोड़ का घोड़ा सारे इलाक़े में न था|
ऐसे चलता है जैसे मोर घटा को देखकर नाच रहा हो|’
जब तक संध्या समय सुल्तान पर चढ़कर आठ-दस मील का चक्कर न लगा लेता, तब तक मुझे चैन न आता।
मैं सुलतान के बिना नहीं रह सकूंगा,’ उन्हें ऐसी भ्रान्ति-सी हो गई थी। वे उसकी चाल पर लट्टू थे।
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