लिखित chapter -- नमक का दारोगा
(क). पिता ने अपने पुत्र को नौकरी पाने से पहले जो उपदेश दिया,
उसका औचित्य अपने शब्दों में लिखिए।
(ख). न्यायालय में मुंशी वंशीधर को कैसे अनुभव हुए?
(ग) पंडित अलोपीदीन मानवीय गुणों के पारखी थे - इस कथन की फुष्टि उदाहरह सहित कीजिए
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हमें इस कहानी का पात्र वंशीधर सबसे अधिक प्रभावित करता है। वह ईमानदार, शिक्षित, कर्तव्यपरायण व धर्मनिष्ठ व्यक्ति है। उसके पिता उसे बेईमानी का पाठ पढ़ाते हैं, घर की दयनीय दशा का हवाला देते हैं, परंतु वह इन सबके विपरीत ईमानदारी का व्यवहार करता है। वह स्वाभिमानी है। अदालत में उसके खिलाफ गलत फैसला लिया गया, परंतु उसने स्वाभिमान नहीं खोया। उसकी नौकरी छीन ली गई। कहानी के अंत में उसे अपनी ईमानदारी का फल मिला। पंडित अलोपीदीन ने उसे अपनी सारी जायदाद का आजीवन मैनेजर बनाया।
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