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क. इंद्रियों के बीच बहस की शुरुआत किसने की?
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Answer:
जब कभी पृथ्वी कुछ क्षण मात्र के लिए हिलती है, तब भयंकर आपदा आती है। हम इस पृथ्वी पर इसलिए रह पाते हैं क्योंकि यह स्थिर है। कभी-कभार पृथ्वी एक क्षण के लिए हिलती भर है और सब कुछ उखाड़ फेंकती है, कुछ क्षण में ही तुम्हारा जीवन कई दिनों के लिए थम जाता है।
जब भी कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आती है, बाढ़, भूकंप, अत्यधिक गर्मी अथवा सर्दी, यह सब जीवन को अस्त-व्यस्त कर देते हैं। तुम तब ही शान्ति से रह सकते हो, जब प्रकृति शांत और स्थिर हो ।
प्रकृति कभी-कभार अनियंत्रित होती है, पर तुम्हारी इन्द्रियां हर रोज अनियंत्रित होती हैं। जब इन्द्रियां अनियंत्रित हो, तब वह अपने भीतर उस ईश्वरीय चेतना को नहीं संभाल पाती हैं, भीतर की शान्ति भंग हो जाती है। जैसे प्रकृति के स्थिर होने से बाहर शान्ति बनी रहती है वैसे ही इन्द्रियों के स्थिर और शांत होने से भीतर की शान्ति बनी रहती है। जब प्रकृति संतुलित हो और इन्द्रियों में सामंजस्य हो, तब ही ध्यान घट सकता है।