लिखित वाक्यों के रंगीन छपे पदों का
पद- परिचय दीजिए-
को एक बार अकबर बादशाह के पास दो राजपत
नौकरी के लिए आए।
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बीरबल ने दिया अकबर को ऐसा जवाब की सबकी बोलती बंद हो गई
एक समय की बात है। अकबर बादशाह का दरबार लगा था।
Story of akbar and birbal
धर्म डेस्क
Jan 30, 2015, 12:43 PM IST
एक समय की बात है। बादशाह अकबरका दरबार लगा था। दरबार में हंसी-ठिठोली का माहौल छाया हुआ था। सब उसी में मशगूल थे। अकबर भी बहुत खुश नजर आ रहे थे, लेकिन एक बात थी जो उन्हें अक्सर खटकती रहती थी। वह यह कि राजदरबार के सभी दरबारी बीरबल के फैसले से बहुत जलते थे। बीरबल के आगे उनके फैसले की एक न चलती थी। इसलिए उन्हें बीरबल से बहुत ईर्ष्या थी। फिर भी वे लोग बीरबल के सामने बोलने की हिम्मत जुटा नहीं पाते थे। अकबर हमेशा बीरबल की प्रशंसा के पुल बांधते रहते थे।
जब बीरबल दरबार में अनुपस्थित रहता था। तब दरबारी बीरबल के प्रति द्वेष का भाव रखकर अकबर बादशाह को भड़काने का काम करते रहते थे, लेकिन अकबर को बीरबल की चतुराई पर बहुत भरोसा था। दरबार में चल रही हंसी-ठिठोली के बीच अकबर ने दरबारियों की परीक्षा लेने का मन ही मन विचार बनाया। उन्होंने सभी दरबारियों से शांत होने को कहा और बोले- गौर से सुनो, तुम सभी को मेरे एक सवाल का जवाब देना है। जो इस सवाल का जवाब सही देगा और उसे साबित कर दिखाएगा उसे मैं बीरबल की जगह अपना मंत्री नियुक्त कर दूंगा। अकबर ने कहा- देखो आप सब में वो बात है, आप लोगों को अवसर मिला है। इससे आपअपने मन के सभी अरमान पूरे कर सकते हो। यह सुनकर सभी दरबारी बहुत खुश हुए। अकबर ने सवाल पूछा और कहा देखो, तुम्हें यह साबित करना है कि मनुष्य की बनाई चीजें अच्छी हैं या कुदरत की बनाई।
अकबर के मुंह से सवाल सुनते ही सभी दरबारी सोच में पड़ गए। अकबर ने उन्हें पूरे एक हफ्ते का समय दिया और कहा अगले शुक्रवार को जब दरबार लगेगा तो तुम्हें खुद को सबसे अच्छा साबित करना है। सब दरबारी अपने-अपने घर को हो लिए। सभी इसी सोच में डूबे थे कि खुद को सबसे अच्छा कैसे साबित करे, लेकिन किसी में इतनी चतुराई भी तो नहीं थी जितनी कि बीरबल में।
सारे दरबारियों में से किसी को भी इस सवाल का हल नहीं मिल पाया। तय समय के अनुसार फिर शुक्रवार के दिन राजदरबार लगा। सभी लोग अपने-अपने आसन बैठ गए, हालांकि बीरबल सबसे पहले पहुंच गए थे। अब राजा ने एक-एक कर सभी से सवाल का जवाब मांगा, पर सभी दरबारी, मंत्री, पंडित अपनी गर्दन झुकाकर खड़े हो गए।
अब अकबर से रहा न गया। उन्होंने बीरबल से पूछा। बीरबल ने बड़ा ही चतुराई भरा जवाब दिया। कहा - इसमें कौन-सी बड़ी बात है। इसका जवाब बहुत ही आसान है। अभी लीजिए कह कर वह अपने कुर्सी से उठकर बाहर चले गए। यह देख दरबारियों में खुसर-फुसर शुरू हो गई।
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