लाख उपाय करने पर भी बिगड़ी बात नहीं बनती। उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजि
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लाख उपाय करने पर भी बिगड़ी बात नहीं बनती।
एक बार बात बिगड़ जाए तो वह लाखों पाए करने पर भी नहीं बन पाती यह बात पूरी तरह सत्य है। इसलिए हमें अपना कोई भी काम बड़े सोच समझ कर करना चाहिए और प्रयत्न करना चाहिए कि ऐसी कोई बात ना हो जिसके बिगड़ने पर उसको संभालना मुश्किल हो जाए। हम सोच समझकर योजनाबद्ध तरीके से काम करेंगे तो बात बिगड़ने की संभावना बहुत कम रहती है।
बात बिगड़ना दूध के फटने के समान है जैसे एक बार दूध फट जाए तो वह दही बन जाता है लेकिन दही बन जाने के बाद हम उसे वापस दूध नहीं बना सकते। हम लाख कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन वो दूध नही बन सकता। ऐसे एक बार कोई बात बिगड़ जाए तो उसे हम दोबारा पहले जैसा नही बनाया जा सकता। रहीम दास जी कहते हैं ‘रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय, तोड़े से फिर ना जुरे, जुरे तो गांठ पड़ जाए अर्थात कोई भी बात उस स्तर तक नहीं ले जाओ की बात बिगड़ जाए अगर बिगड़ भी जाए तो वो पहले तो बनती नही और अगर बनती भी है तो उसमें गांठ पड़ जाती है अर्थात मन में भेद पैदा हो ही जाता है, इसके लिए हमें पूरा प्रयत्न करना चाहिए कि कोई भी बात बिगड़े नहीं।
Answer:
Here is the answer.
Explanation:
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥ जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता।