Hindi, asked by ghanshyamjadhav067, 4 months ago

लेखक चलते-पुरज़े लोगों का यथार्थ दोष क्यों मानता है? धर्म की आड़ पाठ के आधार पर बताइए । ​

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Answered by Anonymous
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Answer:

आज बच्चे अधिकाँश खेल कमरों में रहकर अकेले खेलना चाहते हैं। इन खेलों में प्रयुक्त सामग्री मशीन निर्मित होती है। इस प्रकार के खेलों से बच्चे का मन भी बनावटी हो जाता है | उनमें मित्रता, सहयोग आदि की भावना विकसित ही नहीं हो पाती | इसके विपरीत भोलानाथ के खेल खुले मैदानों में खेले जाते थे। इनमें पक्षियों को उड़ाना, खेती-बारी करना, बारात निकालना, भोज का प्रबंध करना आदि मुख्य थे। इन खेलों में काम आने वाली सभी वस्तुएँ हस्तनिर्मित होती थी | ये खेल साथियों के साथ खेले जाते थे, जिनसे सहभागिता, सद्भाव, मेल-जोल (मित्रता) आदि मूल्य विकसित होते थे। इसके अलावा इन खेलों की सामग्री में प्राकृतिक वस्तुएँ शामिल होती थीं जो प्रकृति से जुड़ाव और उसे संरक्षित करना सिखाती थी | इससे बच्चों के मन में समाज के साथ राष्ट्र-प्रेम का उदय एवं विकास होता था।

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