लेखक फागुन को लेकर असमंजस में क्यों है स्पष्ट कीजिए
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लेखक फागुन को लेकर असमंजस में क्यों है-स्पष्ट कीजिए। उत्तर- फगुनहट के रंगों में सूखा-अकाल,घेराव-पथराव, नारे-जुलूस, आन्दोलन-हड़ताल और विरोध-विद्रोह सब डूब जाते हैं।
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लेखक फागुन को लेकर असमंजस में क्यों है स्पष्ट कीजिए-
- सूखा-कमी, घेराव-गंभीर-पथराव, पहरेदार- जुलूस, आंदोलन-हड़ताल और लात-घूस सब थरथराहट के रंग में डूबे हुए हैं।
- फागुन के प्रकट होते ही पश्चिमी हवाएँ इस तरह आ जाती थीं कि सब मदहोश हो जाते हैं, सब कुछ भूलकर एक ही रंग में रंग जाते हैं और पलाश- अमलतास की जय, चंदा चमेली की जय की तरह एक ही हवा का जाप करने लगते हैं।
- गुलाब- गुलसब्बो जिंदाबाद, मल्लिका- कचनारजिंदाबाद।जब फागुन की हवा चलती है तो आम भी खुश हो जाते हैं, यानी परिवर्तन की लहर, जड़-चेतन, सबको बदल देती है, चारों ओर क्रांति की लहर दौड़ जाती है|
- जो गड़गड़ाहट बाहर नहीं लाता, और डेढ़ घंटे के इस परिवर्तन के बाद, फूलों की भीड़ के साथ, हास्य की आंधी अपनी गति से चलती है और सब कुछ वैसा ही है क्योंकि लेखक भ्रमित है कि कहानी के बाद फिर वही दुख, दुर्दशा और मौज-मस्ती करने के बाद लोगों को होगाएक ही स्थिति का सामना करने के लिए |
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