Hindi, asked by hiyasince2005, 6 months ago

लेखक फ़ादरबुल्के मन से संन्यासी क्यों नहीं मानता है ?

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Answered by muskaan61436
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Answered by V1BE
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फादर बुल्के भारतीय संन्यासी प्रवृत्ति के आधार पर खरे संन्यासी नहीं थे। लेखक के अनुसार वे केवल संकल्प के संन्यासी थे, मन से नहीं। उन्होंने परंपरागत संन्यासी प्रवृत्ति से अलग नयी परंपरा को स्थापित किया। वे संभवतः आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन भी करते थे।

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