लेखक गणेशशंकर विद्यार्थी की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए ? पूरक पाठ्यपुस्तक संचयन भाग -१ class9
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Hey there...!
It's been more than 5 days of ur question no one has still answered.... And i don't think anyone is going to answer it, because it's out of trend. So here by... Presenting the joke of the day... :)
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Teacher : ABC sunao !!
Kid : ABC
Teacher : Aur Sunao?
Kid : aur sab theek thaak, Aap sunao ?
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And finally... Stay Safe.... Keep learning... :)
लेखक गणेशशंकर विद्यार्थी की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए ?
➲ लेखक गणेश शंकर विद्यार्थी के अनुसार धर्म की भावना ऐसी होनी चाहिए, जो पवित्र आचरण से भरी हो। पवित्र और शुद्ध आचरण मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ गुण है और यह धर्म की भावना में निहित होना चाहिए। मनुष्य अपने अंदर के पशुत्व को समाप्त कर मनुष्यता को आत्मसात करे, इसके लिए आवश्यक है कि वह पवित्र और शुद्ध आचरण करे। वह ईश्वर और आत्मा में संबंध स्थापित करने वाली धर्म की भावना को अपनाए। लेखक यह भी कहता है कि धर्म की भावना दूसरों के कल्याण की भावना होनी चाहिए ना कि दूसरों का अहित करने वाली या उन्हें भड़काने वाली भावना होनी चाहिये।
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