लेखक हमें धूल पर पैर रखने के लिए क्यों कह रहे हैं
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hii mate
लेखक के अनुसार धूल और मिट्टी में कोई खास अंतर नहीं है। उसके लेखक के अनुसार धूल और मिट्टी में केवल उतना ही अंतर है जितना कि शब्द और रस,देह और प्राण अथवा चांद और चांदनी में होता है। जिस प्रकार से यह अलग-अलग होते हुए भी एक है उसी प्रकार धूल और मिट्टी अलग नाम होकर भी एक है
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