लेखक हरे-भरे पेड़ों को क्या समझता था? Class-8thलेखक हरे-भरे पेड़ों को क्या समझता था? *
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लेखक हरे भरे पेड़ों को अपना दुश्मन समझ रहा था।
‘बस की यात्रा’ पाठ में जब लेखक हरिशंकर परसाई अपने चार मित्रों के साथ बस की यात्रा पर निकले तो जिससे वह यात्रा कर रहे थे, वह बेहद जर्जर हालत की थी। बस चलने पर बस के सारे कलपुर्जे बजने लगे। उन्हें बस के किसी भी हिस्से पर भरोसा नहीं था। उन्हें डर लग रहा था कि बस का ब्रेक फेल हो सकता है अथवा स्टीयरिंग टूट सकता है। आसपास के जो भी पेड़ थे वह दिल लेखक को दुश्मन लगने लगे, क्योंकि लेखक को डर लगने लगा था कि बस कहीं इन पेड़ों से ना टकराई जाए।
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