लेखक के अनुसार, किन प्रश्नों का उत्तर आज हमारे पास नहीं है?
Answers
Answer:
Question 1:
बालक से उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के कौन-कौन से प्रश्न पूछे गए?
ANSWER:
बालक से जितने भी प्रश्न पूछे गए वे सभी प्रश्न उसकी उम्र और योग्यता से ऊपर के थे। जैसे- धर्म के लक्षण, रसों के नाम तथा उनके उदाहरण, पानी के चार डिग्री के नीचे ठंड फैल जाने के बाद भी मछलियाँ कैसे जिंदा रहती हैं तथा चंद्रग्रहण होने का वैज्ञानिक इत्यादि प्रश्न उसकी उम्र की तुलना में बहुत अधिक गंभीर थे।
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Question 2:
बालक ने क्यों कहा कि मैं यावज्जन्म लोकसेवा करूँगा?
ANSWER:
बालक ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसके पिता ने उसे इस प्रकार का उत्तर रटा रखा था। यह एक संवाद है, जिसे बोलने वाला व्यक्ति वाह! वाह! पाता है। पिता ने सोचा होगा कि इस प्रकार का संवाद सिखाकर उसकी योग्यता पर श्रेष्ठता का ठप्पा लग जाएगा। परन्तु इस प्रकार बुलवाकर वह बच्चे के बालपन को समाप्त करने का प्रयास कर रहे थे। पिता को सामाजिक प्रतिष्ठा बच्चे के बालपन से अधिक प्रिय थी।
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Question 3:
बालक द्वारा इनाम में लड्डू माँगने पर लेखक ने सुख की साँस क्यों भरी?
ANSWER:
लेखक का जब बालक से परिचय हुआ, तो उसे वह सामान्य बच्चों जैसा ही लगा। परन्तु उसका अपनी उम्र से अधिक गंभीर विषयों पर उत्तर देना, लेखक को दुखी कर गया। वह समझ गया कि पिता द्वारा उसकी योग्यता को इतना अधिक उभारा गया है कि इसमें बालक का बालपन तथा बालमन दम तोड़ चुका है। पिता ने उसे उम्र से अधिक विद्वान बनाने का प्रयास किया है, जिसमें एक बालक पिसकर रह गया है। एक बालक के विकास के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है। परन्तु वह खेलकूद और जीवन के छोटे-छोटे सुखों को छोड़कर उसी में घुल जाए, तो ऐसी स्थिति बच्चे और समाज के लिए सुखकारी नहीं है। इस तरह हम उसका बचपन समाप्त कर रहे हैं। लेखक के अनुसार पिता तथा उनके साथ बैठे लोग इस प्रयास में सफल भी हो गए थे। जब इनाम में बच्चे ने लड्डू माँगा, तो लेखक ने सुख की साँस भरी। एक बालक के लिए यही स्वाभाविक बात थी। उसे यही माँगना चाहिए था और उसने माँगा भी। उसे विश्वास हो गया कि पिता तथा अन्य लोग अपने इस प्रयास में सफल नहीं हो पाए हैं। अब भी बालक के अंदर विद्यमान उसका बचपन जिंदा है। वह अब भी अपनी उम्र से आगे नहीं निकला है। यह स्थिति लेखक के लिए सुखदायी थी।
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Question 4:
बालक की प्रवृत्तियों का गला घोंटना अनुचित है, पाठ में ऐसा आभास किन स्थलों पर होता है कि उसकी प्रवृत्तियों का गला घोटा जाता है?
ANSWER:
सभा में बालक से बड़ों द्वारा बहुत ही गंभीर विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। बालक उन प्रश्नों का उत्तर देता है। बालक के हावभाव तथा व्यवहार से पता चलता है कि बालक की प्रवृत्तियों का गला घोंटना अनुचित है। निम्नलिखित स्थलों पर पता चलता है कि बालक की प्रवृत्तियों का गला घोटना अनुचित है।-
1. जब आठ वर्ष के बालक को नुमाइश के लिए श्रीमान हादी के सम्मुख ले जाया गया।
2. जब बालक को सभी लोग घेरकर ऐसे प्रश्नों के उत्तर पूछते हैं, जो उसकी उम्र के बालकों के लिए समझना ही कठिन है।
3. बालक इस प्रकार के प्रश्नों को सुनकर असहज हो जाता था। वह प्रश्नों का उत्तर देते हुए आँखों में नहीं झाँकता बल्कि जमीन पर नज़रे गडाए रहता है। उसका चेहरा पीला हो गया है और आखें भय के मारे सफ़ेद पड़ गई हैं। उसके चहरे पर कृत्रिम और स्वाभाविक भाव आते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि वह स्वयं से लड़ रहा है।
4. जब उससे इनाम माँगने के लिए कहा गया, तो उससे लड्डू की अपेक्षा किसी और ही तरह के इनाम माँगने की बात सोची गई थी। जब उसने बाल प्रवृत्ति के अनुरूप इनाम माँगा, तो सभी बड़ों की आँखें बुझ गई।
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Question 5:
"बालक बच गया। उसके बचने की आशा है क्योंकि वह लड्डू की पुकार जीवित वृक्ष के हरे पत्तों का मधुर मर्मर था, मरे काठ की अलमारी की सिर दुखानेवाली खड़खड़ाहट नहीं" कथन के आधार पर बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
ANSWER:
छोटे बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ होती हैं कि वह जिद्द करे, अन्य बच्चों के साथ खेले, ऐसे प्रश्न पूछे जो उसकी समझ से परे हों, खाने-पीने की वस्तुओं के प्रति आकर्षित और ललायित हो, रंगों से प्रेम करे, हरदम उछले-कूदे, अपने सम्मुख आने वाली हर वस्तु के प्रति जिज्ञासु हो, शरारतें करे इत्यादि। ये एक साधारण बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ होती हैं और यदि ये प्रवृत्तियाँ न हो, तो चिंताजनक स्थिति मानी जाती है। वह उसके जीवन का आरंभिक समय है। पाठ में लेखक ने जिस बालक का उल्लेख किया है पिता ने उसकी इन प्रवृत्तियों को अपनी उच्चाकांशा के नीचे दबा दिया था। बालक की उम्र आठ वर्ष की थी। उसके अंदर अभी इतनी समझ विकसित नहीं हुई थी कि गंभीर विषयों को समझे। पिता द्वारा उसे यह सब रटवाया गया था। उसे इन सब बातों को रटवाने के लिए पिता ने बच्चे के बालमन को कितनी चोटें पहुँचायी होगी यह शोचनीय है। उनके इस प्रयास में बालक की बालसुलभ प्रवृत्तियों का ह्रास तो अवश्य हुआ होगा। परन्तु उसका लड्डू माँगना इस ओर संकेत करता है कि अब भी कहीं उसमें बालसुलभ प्रवृत्तियाँ विद्यमान थीं, जो उसे और बच्चों के समान ही बनाती थी। लेखक को विश्वास था कि अब भी बालक बचा हुआ है और प्रयास किया जाए, तो उसे उसके स्वाभाविक रूप में रखा जा सकता है। लेखक का यह कथन इसी ओर संकेत करता है।
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Question 1:
लेखक ने धर्म का रहस्य जानने के लिए 'घड़ी के पुर्ज़े' का दृष्टांत क्यों दिया है?