Hindi, asked by azamkhan05507, 2 days ago

लेखक के अनुसार सत्य का स्वरूप कैसे होता है?

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Answered by malateshbhalemani
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Answer:

सत्य वास्तविकता है एक स्फूर्ति है जिसका अनुशरण करके हम एक आनंद का एक स्फूर्ति का ,अनुशासन का अनुभव करते है। सत्य मै हमे हर परीस्थिति से निकलने की क्षमता होती है। सत्य मैं कोई छल कोई दिखावा नही है वास्तविकता है एक सच्चाई है। पर कभी कभी हमारे जीवन में ऐसी स्थिति आती है जब हमे झूठ भी बोलना पढ़ता है।

Answered by shishir303
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लेखक के अनुसार सत्य का स्वरूप कैसा होता है?

लेखक के अनुसार सत्य का स्वरूप अनोखा होता है। सत्य बहुत भोला-भाला और सीधा-सादा होता है। सत्य वह है जो कुछ भी आँखों से देखा गया उसे बिना किसी तरह के लाग-लपेट के बिना किसी तरह नमक मिर्च लगाए ज्यों का त्यों बोल दिया गया। यानी यथावत स्थिति को स्पष्ट करना ही सत्य है। जो प्रत्यक्ष है वही सत्य है। सत्य दृष्टि का प्रतिबिंब है यानी दृष्टि ने जो कुछ देखा उसे ज्यों का त्यों बता दिया। यही सत्य है। सत्य ज्ञान की प्रतिलिपि और आत्मा की वाणी होता है। सत्य बहुत भोला और सीधा सादा है।

#SPJ3

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