लेखक को अपनी सोच के विपरीत डिब्बा क्यों लगा ? ' लखनवी अंदाज ' पाठ के अनुसार बताओ ।
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लखनवी अंदाज़ पाठ का सारांश
लखनवी अंदाज़ पाठ यशपाल द्वारा लिखा गया है| इस पाठ में लेखन ने दिखावा पसंद लोगों की जीवन शैली का वर्णन किया है| लेखक इस पाठ के माध्यम से बताना चाहता है की बिना पात्रों , घटना और विचार के भी स्वतंत्र रूप से रचना लिखी जा सकती है|
कहानी में नबाब साहब और उनके द्वारा खीरे काट कर खिड़की से फेंकने को आधार बनाकर अपने विचार व्यक्त किया है| नबाब साहब खीरे को सूंघ कर संतुष्ट होने का दिखावा करते है | यह उनके ढोंग पन अवास्तविक है| नबाब के इस व्यवहार से लगता है की लोग आम लोगों जैसे कार्य एकांत में करना पसंद करते है उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं उनके कोई देख ना ले और उनकी शान में कोई फर्क न आ जाए | आज समाज में भी ऐसी दिखावा पसंद संस्कृति का आदि हो गया है|
इस प्रकार केवल प्रदर्शन कर आडम्बर नई कहानी के लेखक बिना विचार , उद्देश्य , पात्र और घटना मात्र अपनी इच्छा द्वारा लिख रहे है|
Explanation:
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लेखक इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहता है कि बिना पात्रों, घटना और विचार के भी स्वतंत्र रूप से रचना लिखी जा सकती है। लेखक को रेलगाड़ी के डिब्बे में एक नवाब मिलता है। उसे लेखक के सामने खीरा खाने में संकोच होता है इसलिए अपने नवाबी अंदाज में लजीज रूप से तैयार खीरे को केवल सूँघकर खिड़की के बाहर फेंक देता है। भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के संबंध में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए सेकंड क्लास का ही ले लिया।