Hindi, asked by vinay1432b, 22 hours ago

लेखक के एक मित्र बाजार गए तो ढेर सारा सामान खरीद लाए, दूसरे मित्र पूरे दिन बाजार में रहकर भी खाली हाथ लौट आए। दोनो के व्याहार और सोचने के अंतर को स्पष्ट कीजिए।​

Answers

Answered by nidhi2461
6

Answer:

मित्र ने लेखक को बताया कि ढेर-सारा सामान उसने अपनी पत्नी के साथ होने और उसके आग्रह पर खरीदा था।

Answered by tushargupta0691
0

Answer:

उत्तर- बाजार दर्शन पाठ में लेखक ने अपने दो तरह के मित्रों का उल्लेख किया है। एक मित्र बाजार जा का ढेर सारा सामान खरीद लाता है। वह फिजूलखर्ची करता है। इससे उसका घमंड संतुष्ट होता है। उसको अपनी जरूरत की चीजों का सही पता नहीं होता। दूसरा मित्र बाजार जाता है, वह बहुत देर रुकता भी है, परंतु वहां बहुत सी चीजें देखकर बहुत सी चीजों को खरीदना चाहता है परंतु तय नहीं कर पाता कि वह क्या खरीदें। अतः खाली हाथ बाजार से वापस लौट आता है। बाजार जाने वाले तीसरे व्यक्ति चूरन वाले भगत जी हैं भगत जी को चौक बाजार की पंसारी की दुकान से केवल काला नमक तथा जीरा खरीदना होता है। शेष बाजार उनके लिए शून्य के बराबर होता है।

वर्तमान नोटबंदी के कारण बाजार अस्त व्यस्त हो रहा है। ग्राहकों के पास भी धन नहीं है बाजार जा कर सामान खरीदना आसान नहीं है। इस परिस्थिति में मैं पहले मित्र की तरह फिजूलखर्ची करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। वैसे भी ज्यादा चीजों का प्रयोग करना मैं सुख शांति में बाधा मानता हूं।

Explanation:

क्युकी उस मित्र की समझ में ये नही आ रहा था की वो ले तो क्या ले। क्युकी वो बाजार मैं जो कुछ भी देखते , उन्हें भा जाता । पर सारी चीजों को खरीदना असंभव होने के कारण उन्होंने कुछ भी नही लिया। क्युकी उनका मानना था की अगर वो एक वस्तु खरीदते है तो बाकी वस्तुओ को छोड़ कर जाना उन वस्तुओ का अपमान होगा । इसी भावना से उन्होंने बाजार मैं से कुछ भी नही लिया और खाली हाथ लोट आए।

#SPJ3

Similar questions