Hindi, asked by yashikaaggarwal001, 7 months ago

लेखक के हृदय में हिन्दी साहित्य के प्रति आकर्षण को बढ़ाने में उनके पिता की क्या भूमिका रही?

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Answered by shishir303
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लेखक यानी आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पिता फारसी भाषा के विद्वान थे। इससे साथ ही वह हिंदी भाषा में भारतेंदु हरिश्चंद्र के प्रशंसक थे। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पिता चंद्रबली शुक्ल अरबी और फारसी भाषा के विद्वान थे। इस कारण उनके घर का वातावरण साहित्यिक था। वे अक्सर भारतेंदु हरिश्चंद्र जी का साहित्य अपने घर में लाते रहते थे। इसके साथ वे तुलसी-सूर आदि के विनय के पद गाकर कर घर के वातावरण को प्रफुल्लित करते थे। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के बचपन में उनके घर में अरबी और फारसी मिश्रित खड़ी बोली का प्रयोग होता था आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पिता बाद में आर्य समाज के संपर्क में आ गए और रामायण-महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का गहनता से अध्ययन करने लगे। इन सब बातों का आचार्य रामचंद्र शुक्ल पर बेहद प्रभाव पड़ा और उनकी भी साहित्य के प्रति अभिरुचि उत्पन्न हो गई।

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