Hindi, asked by gajrajmeena26782, 8 months ago

लेखक को इंजन के भीतर बैठने का अनुभव क्यों हो रहा था​

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Answered by shishir303
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¿ लेखक को इंजन के भीतर बैठने का अनुभव क्यों हो रहा था​ ?

✎... लेखक जैसे ही बस में बैठा और बस का इंजन चालू हुआ तो बस के इंजन के शोर और कंपन से पूरी बस हिलने लगी। बस के इंजन का शोर पूरी बस में गूँज रहा था। बस की खिड़किओं के शीशे बुरी तरह हिल रहे थे। हालांकि बस के अधिकांश शीशे टूट चुके थे, जो बचे थे वो इंजन के चालू होने पर हिलने लगे और उनसे किसी को चोट लगने का खतरा बढ़ गया था। लेखक को ऐसा प्रतीत हो रहा था, कि जैसे उसकी सीट के नीचे ही इंजन हो।

इन सब कारणों से लेखक को लगा कि वो बस में नही इंजन में बैठे हैं।

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बस की यात्रा' पाठ में लेखक ने गाँधीजी के किसी आंदोलन की बात की है। वे आन्दोलन कौन-कौन से हैं ? लेखक ने उनकी चर्चा क्यों की है ?  

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बस की यात्रा’ पाठ की लेखन शैली क्या है? यहाँ लेखक ने किन दुव्र्यवस्थाओं को उजागर किया है?  

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Answered by phagi572
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लेखक को इंजन के भीतर बैठने का अनुभव क्यों हो रहा था

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