लेखक को जीने का अर्थ कब और कैसे मालूम हुआ?
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➲ लेखक को जीने का सही और सच्चा अर्थ, तब मालूम पड़ा जब वह ‘टी सेरेमनी’ में गया और धीरे धीरे घूंट करके चाय पीने में उसे जो आनंद महसूस हुआ, तब उसे पता चला कि जीना किसको कहते हैं। तब लेखक को पता चला कि हमारे सामने जो वर्तमान है, वही सत्य है। उसी में जीना चाहिए। चाय पीते समय लेखक के दिमाग में भूत और भविष्य दोनों काल उड़ गए थे। वह केवल वर्तमान में जी रहा था। उसके सामने उसका वर्तमान था। तब लेखक को पता चला जीना इसी को कहते हैं।
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