लेखक को लता मंगेशकर के चमत्कारी गायन से परिचित होने का अवसर कब और कैसे मिला?
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लेखक को लता मंगेशकर के चमत्कारी गायन से परिचित होने का अवसर तब मिला जब वह बीमार थे और तब उन्होंने सहज ही रेडियो लगाया और अचानक एक अद्वितीय स्वर कानों में पड़ा तो उन्होंने अनुभव किया कि यह स्वर विशेष है रोज का नहीं फिर जब गाना समाप्त हुआ और गायिका का नाम घोषित किया गया लता मंगेशकर नाम सुनते ही वह चकित हो गए और उन्होंने सोचा कि सुप्रसिद्ध गायक दीनानाथ मंगेशकर की अजब गायकी एक दूसरा स्वरूप लिए उन्हीं की बेटी की कोमल आवाज में सुनने का अनुभव हुआ
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