लेखक के मित्र की स्वयं की प्रति क्या धारणा थी पाठ आप भले तो जग भला पाठ आप भले तो जग भला
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संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'मंजरी' के 'आप भले तो जग भला' नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक श्रीमन्नारायण हैं। प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि आप दूसरों से जिस प्रकार का व्यवहार करेंगे, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही व्यवहार आपके साथ करेंगे।
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