Hindi, asked by Archanasorout, 3 months ago

लेखक के मित्र ने बाजार की क्या संज्ञा दी है​

Answers

Answered by shishir303
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¿ लेखक के मित्र ने बाजार की क्या संज्ञा दी है​ ?

✎... लेखक के मित्र ने बाजार को शैतान का जाल बताया है।

यह शैतान का जाल एक ऐसा जाल होता है, जिसमें कोई बेशर्म व्यक्ति ही नहीं फंस पाता। सीधा-साधा व्यक्ति तो इस बाजार रूपी शैतान के जाल में फंस जाता है। यह बाजार का आकर्षक ऐसा होता है कि व्यक्ति ना चाह कर भी इसमें इसकी तरफ खिंचा चला जाता है, और वह वस्तुएं खरीद लेता है, जो उसके उपयोग की नहीं भी नहीं है।

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प्र... बाजार दर्शन' लेख का सार बताते हुए इसके उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।  

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