लेखक की माँ उन्हें क्या क्या नसीहत देती है ? ch- ab kaha dusro ke dukh se dukhi hone wale....
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Introduction - पाठ प्रवेश
atamtran
अभी तुम छोटे हो इसलिए इस काम में हाथ मत डालो अर्थात यह काम मत करो। ऐसा सुनते ही बच्चों के मन में आता है कि काश हम बड़े होते,तो कोई हमें इस तरह नहीं टोकता। लेकिन आप ये मत सोच लेना कि बड़े होने से आपको कुछ भी करने का अधिकार मिल जाता है। घर के बड़े को कई बार वो काम करने से भी पीछे हटना पड़ता है जो उसकी उम्र के दूसरे लड़के बिना सोचे समझे करते हैं क्योंकि वो अपने घर में बड़े नहीं होते।
प्रस्तुत पाठ में भी एक बड़े भाई साहब हैं जो हैं तो छोटे ही परन्तु उनसे छोटा भी एक भाई है। वे उससे कुछ ही साल बड़े हैं परन्तु उनसे बड़ी बड़ी आशाएं की जाती हैं। बड़े होने के कारण वे खुद भी यही चाहते हैं कि वे जो भी करें छोटे भाई के लिए प्रेरणा दायक हो। इस आदर्श स्थिति को बनाये रखने के कारण बड़े भाई साहब का बचपन अदृश्य अर्थात नष्ट हो गया।