लेखक का मन पढाई मे न लगकर किन कार्यो मे लगता था
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लेखक का मन पढ़ाई में न लगकर मनोरंजन और खेल-कूद में लगता था । उसकी रूचि कंकरियाँ उछालने गुल्लीडंडा खेलने तथा पतंगबाज़ी में थी। बड़े भाई साहब ने ज़िन्दगी के अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण बताया है । उनके अनुसार जीवन की समझ अनुभव से आती है किताबी ज्ञान से नहीं ।
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