लेखक का मन पढ़ाई में न लगकर किन कार्यों में लगता था ?
बड़े भाई साहब पाठ के आधार पर बताइए
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‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक अर्थात छोटे भाई का मन पढ़ाई में ना लगकर खेलकूद वाले कार्यों में लगता था। लेखक को घंटे भर भी किताब लेकर बैठकर पढ़ना बहुत भारी प्रतीत होता था। उसका मन कभी कंकरिया उछालने में लगता, तो कभी कागज की तितलियां बनाकर उड़ाने में लगता था। लेखक का मन अपने संगी-साथियों के साथ खेलने कूदने में लगता था। वह चारदीवारी पर चढ़कर ऊपर-नीचे कूदता, कभी फाटक पर सवार होकर उस फाटक को आगे-पीछे चलाता और ऐसा महसूस करता कि जैसे मोटरकार पर सवार है। इस तरह के मौज-मस्ती वाले कार्यों में लेखक का मन लगता था।
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Answer:
लेखक का मन पढ़ाई में न लगकर मनोरंजन और खेल-कूद में लगता था । उसकी रूचि कंकरियाँ उछालने गुल्लीडंडा खेलने तथा पतंगबाज़ी में थी।
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