लेखक किन विचारों को प्रधान शक्ति मानकर
तथा अपने मन और बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर
छोड़ देने को बुरा आचरण कह रहा है?
a. लोभ - मोह,काम-क्रोध आदि विचारों को
b. सच्चाई और ईमानदारी आदि विचारों को
C. प्रेम और धोखा आदि विचारों को
d. इनमें से कोई नहीं
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सही उत्तर है, विकल्प है...
a. लोभ - मोह,काम-क्रोध आदि विचारों को
व्याख्या:
लेखक ने लोभ-मोह-काम-क्रोध आदि विचारों को मनुष्य में स्वभाविक रूप से विद्यमान माना है और लेखक के अनुसार इन विचारों को प्रधान शक्ति मानकर अपने मन तथा बुद्धि को उन्हीं के इशारे पर छोड़ देना एक बुरा आचरण है। इसलिए अपने मन को सदैव संयम रूपी रस्सी के बंधन से बांधकर रखना चाहिये। उचित समय पर किया गया उचित कार्य ही सार्थक होता है। लोभ-काम-काम-क्रोध मनुष्य में उत्पन्न होने वाली स्वाभाविक वृत्तियां है, इन्हे दबाया नही जा सकता है, लेकिन इन पर नियंत्रण स्थापित कर इनको सकारात्मक रूप दिया जा सकता है। यदि इन पर नियंत्रण स्थापति नही करेंगे तो ये वृत्तियां बेलगाम हो जायेंगी और मनुष्य का आचरण बिगड़ सकता है.
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