लेखक की पहाड़ी रचना किस प्रमुख पत्रिका में छपी
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लेखक की पहाड़ी रचना कल्पना पत्रिका में छपी
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'वसुधा' का मासिक रूप में प्रकाशन सन् 1956 में शुरू हुआ। इसके संस्थापक संपादक थे हरिशंकर परसाई। वे अपने कुछ मित्रों के सहयोग से इसका संपादन करते थे। दो वर्ष एवं कुछ महीने बाद इसका प्रकाशन स्थगित हो गया। फिर करीब तीन दशक बाद नवें दशक में इसकी दूसरी आवृत्ति हुई। मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष के नाते परसाई जी प्रधान संपादक हुए और उन्होंने एक टीम तैयार की। इस पत्रिका के संपादन हेतु प्रगतिशील लेखक संघ के आंतरिक निर्णय के अनुसार टीम बदलती रही है।
Explanation:
'वसुधा' का मासिक रूप में प्रकाशन सन् 1956 में शुरू हुआ। इसके संस्थापक संपादक थे हरिशंकर परसाई। वे अपने कुछ मित्रों के सहयोग से इसका संपादन करते थे। दो वर्ष एवं कुछ महीने बाद इसका प्रकाशन स्थगित हो गया। फिर करीब तीन दशक बाद नवें दशक में इसकी दूसरी आवृत्ति हुई। मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष के नाते परसाई जी प्रधान संपादक हुए और उन्होंने एक टीम तैयार की। इस पत्रिका के संपादन हेतु प्रगतिशील लेखक संघ के आंतरिक निर्णय के अनुसार टीम बदलती रही है। कमला प्रसाद जी के प्रधान संपादकत्व में यह पत्रिका लंबे समय तक त्रैमासिक रूप में प्रकाशित होती रही है। इसका प्रकाशन मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से होता रहा है। पत्रिका के प्रकाशन की द्वितीय आवृत्ति में अंक-62 तक तो इसका नाम 'वसुधा' ही रहा, लेकिन अंक-63 से नये रूपाकार में इसका प्रकाशन आरंभ हुआ और इसका नाम 'प्रगतिशील वसुधा' हो गया। अंकों की गिनती तो क्रमशः ही रही, लेकिन पत्रिका की पहचान को भिन्नता भी मिली। अर्थात् अंक-63 का प्रकाशन जनवरी 2005, वर्ष-1, अंक-1 के रूप में हुआ। हालांकि इस अंक में वर्ष एवं अंक संख्या का उल्लेख नहीं किया गया था, परंतु अंक-64, मार्च 2005 में प्रमुखता से वर्ष-1, अंक-2 उल्लिखित था। प्रधान संपादक कमला प्रसाद के अतिरिक्त लम्बे समय तक इसके संपादक रहे हैं स्वयं प्रकाश एवं राजेन्द्र शर्मा। कमला प्रसाद जी प्रधान संपादक नियुक्त होने के समय से आजीवन वसुधा के लिए प्राणपन से जुड़े रहे। इसका संपादकीय कार्यालय भी उनका आवास 'एम 31, निराला नगर' ही था। अंक-87 तक के संपादन के बाद 25 मार्च 2011 को उनका निधन हो जाने के कारण अंक-88 से संपादन का दायित्व स्वयं प्रकाश एवं राजेन्द्र शर्मा के द्वारा ही सँभाला गया। अब इसका कार्यालय 'मायाराम सुरजन स्मृति भवन, शास्त्री नगर, पी॰ एण्ड टी॰ चौराहा, भोपाल-3' में आ गया। अंक-95 के बाद स्वयं प्रकाश जी भी इसके संपादन से हट गये तथा अंक-96 (जनवरी-जून 2015) का प्रकाशन भिन्न रूप में केवल राजेन्द्र शर्मा के संपादन में हुआ। अंक-95 तक 'प्रगतिशील वसुधा' के मुख पृष्ठ पर एक टैगलाइन 'प्रगतिशील लेखक संघ का प्रकाशन' के रूप में जाती रही। अंक 96 से यह 'मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ का प्रकाशन' के रूप में बदल गयी। इस अंक में घोषणा की गयी कि आगामी 4 अंकों तक ही इस रूप में इसका प्रकाशन होगा। "इस बीच प्रगतिशील वसुधा के लिए सर्वथा नई सम्पादकीय और व्यवस्थापकीय टीम का गठन करने के प्रयास किये जायेंगे, तब हरिशंकर परसाई और अब कमला प्रसाद द्वारा स्थापित 'वसुधा' की यह तीसरी आवृत्ति होगी।"
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