लेखक के रूप में बस की यात्रा का अपना अनुभव बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए
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रास्ते में पहाड़ों से निकलकर बहते झरनों का दृश्य तो इतना मनमोहक लगता है कि लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं । ऊँचाई पर एक जगह बादल हमारी बस की खिड़कियों से अंदर प्रवेश करने लगे । उस समय सचमुच ऐसा लग रहा था जैसे हम स्वर्ग का सुख प्राप्त कर रहे हैं । तुम्हारी छुट्टियाँ कैसी बीतीं इसका उल्लेख अपने पत्र में अवश्य करना
Explanation:
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लेखक के रूप में बस की यात्रा का अपना अनुभव बताते हुए अपने मित्र को पत्र निम्न प्रकार से लिखा गया है।
104, कुंज विला,
अंधेरी
मुंबई।
दिनांक : 5/9/22
प्रिय मित्र
आकाश।
आशा है तुम वहां पर सकुशल होंगे, यहां पर भी सब कुशल मंगल है।
आगे समाचार यह कि पिछले सप्ताह मैंने अपने कॉलेज के कुछ मित्रों के साथ सतना जाने का कार्यक्रम बनाया। हमने बस से जाने का निश्चय किया।
जिस बस से हम जा रहे थे उस बस की हालत बहुत खस्ता थी, बस के हिस्सेदार ने तो बस की बहुत तारीफ की थी जैसे नई बस हो। जब बस नाले को पार कर रही थी तब गिरते गिरते बची। पुलिया पर पहुंच कर बस का टायर खराब हो गया , शुक्र मनाया कि बस की स्पीड नहीं थी, यदि स्पीड अधिक होती तो पूरी बस नाले में जाकर गिरती और हम सब सीधे ऊपर।
बस का ड्राइवर ऐसी हालत में भी बिल्कुल नहीं घबराया , उससे इतना भी न हुआ कि टायर ही बदल दे, ऐसे ही चलाए जा रहा था। सचमुच बड़ी विकट परिस्थिति थी। हमने जैसे तैसे बस यात्रा पूरी की व अपनी मंजिल पर पहुंचे , इतने थक चुके थे कि घूमने का पूरा उत्साह ही खत्म हो गया।
खैर , हम पहुंच तो गए ।
अब मै यही पर पत्र की समाप्ति कर रह हूं।
तुम्हारा मित्र
क. ख . ग
#SPJ2
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