लेखक कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी की भाषाशेली
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कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ की भाषा में अद्भुत प्रवाह विद्यमान है। इनकी भाषा में मुहावरों एवं उक्त्यिों का सहज प्रयोग हुआ है। आलंकारिक भाषा से इनकी रचनाऍं कविता जैसा सौन्दर्य प्राप्त कर गयी है। इनके वाकय छोटे-छोटे एवं सुसंगठित है, जिनमें सूक्तिसम संक्षिप्तता तथा अर्थ-माम्भीर्य है। इनकी भाषा में व्यंग्यात्म्कता, सरलता, मार्मिकता, चुटीलापन तथा भावाभिव्यक्ति की क्षमता है।
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