लेखक खानपान के बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है
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खानपान में बदलाव से होने वाले फ़ायदों के बावजूद लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित है क्योंकि उसका मानना है कि आज खानपान की मिश्रित संस्कृति को अपनाने से नुकसान भी हो रहे हैं जो निम्न रूप से हैं
- स्थानीय व्यंजनों का चलन कम होता जा रहा है जिससे नई पीढी स्थानीय व्यंजनों के बारे में जानती ही नहीं
- खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है।
- उत्तर भारत के व्यंजनों का स्वरूप बदलता ही जा रहा है।
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