लेखक खीरा खाना चाहता था , फिर भी उसने मना कर दिया ऐसा क्यों ?
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लेखक खीरा खाना चाहता था लेकिन उसने मना कर दिया क्योंकि वह संकोच कर रहा था।
- प्रस्तुत प्रश्न " लखनवी अंदाज " पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक है यशपाल ।
- लेखक एक बार ट्रेन में सफर कर रहे थे। उनकी सामने वाली सीट पर एक नवाब साहब बैठे थे।
- लेखक ने देखा कि नवाब साहब ने वक्त काटने के लिए खीरे खरीदे थे । नवाब साहब ने खीरे को अच्छी तरह से धोया , उस पर मिर्च मसाला लगाया व तौलिए पर रख दिया ।
- नवाब साहब ने लेखक से खीरा खाने का आग्रह किया , लेखक का मन तो था खीरा खाने का परन्तु उसने संकोचवश मना कर दिया व कहा कि उनका पेट खराब है।
- नवाब साहब ने खीरा उठाया , उसे सूंघा तथा खिड़की से बाहर फेंक दिया।
- यह सब देखकर लेखक को आश्चर्य हुआ क्योंकि नवाब साहब खीरा खाना अपनी शान में कमी समझ रहे थे। उन्हें लगा कि खीरा गरीबों का फल है इसलिए खीरा फेंक दिया होगा।
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