लेखक ने ऐसा क्या देखा कि उनके ज्ञान चक्षु खुल गए?
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नवाब साहेब के बिना खीरा खाए केवल सूघंकर उसकी महक और स्वाद की कल्पना से पेट भर जाने का डकार आ सकता है तो बिना विचार घटना और पात्रों के लेखक की इच्छा मात्र से नई कहानी क्यों नहीं बन सकती इसी सोच ने लेखक के ज्ञान चक्षु खोल दिए
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यशपाल-लखनवी अन्दाज़ लेखक के किस बात से ज्ञान चक्षु खुल गए थे? नवाब साहब के बिना खीरा खाए, केवल सूँघकर उसकी महक और स्वाद की कल्पना से पेट भर जाने का डकार आ सकता है तो बिना विचार, घटना और पात्रों के लेखक की इच्छा मात्र से 'नई कहानी' क्यों नहीं बन सकती। इसी सोच ने लेखक के ज्ञान चक्षु खोल दिए।
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