लेखक ने अतिथि को देवता मानकर राक्षस क्यों माना है ?
पाठ - अतिथि तुम कब जाओगे
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अतिथि के घर पर सागर से दूसरे से लेखक काफी खर्चा हो रहा था ।लेखक के आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी तथा उनके बजट पर बोझ पड़ रहा था इसलिए उन्हें अपना अतिथि राक्षस के समान दिखने लगा ।उन्होंने महसूस किया कि अतिथि के सारा दिन भर रुकने से उनके दाहिने बजट पर बोझ पड़ेगा तथा उनसे उनको गुस्सा भी संयम भी नहीं रह पाएगा । वहचाहते थे कि अतिथि उनके घर जल्दी छोड़कर चले जाए लेकिन ऐसा नही हुआ । लेखक को अतिथि अतिथि उन्होंने महसूस किया कि अतिथि सिर्फ देखता नहीं होता है कुछ अंशों में बालक तो कभी-कभी राक्षस के सवाद भी दिखने लगता है l
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