Hindi, asked by ak4709628, 18 days ago

लेखक ने 'बाजार दर्शन' पाठ में चूरन वाले को 'अकिंचित्कर कहा है, जिसका अर्थ है- (अ) अर्थहीन (ब) व्यापारी (स) भिखारी (द) ठग​

Answers

Answered by aishani24sumedha
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Answer:

अ अर्थहीन है इसका उत्तर

Explanation:

इस शब्द का अर्थ बेकार होता है जिसका पर्यायवाची अर्थहीन है

Answered by vikasbarman272
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अकिंचित्कर का अर्थ है - अर्थहीन

  • अतः (अ) अर्थहीन इसका सही उत्तर है l
  • बाजार दर्शन नामक पाठ जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखित है l
  • 'बाजार दर्शन' में चूरन वाले भगत जी को शान्त, सन्तुष्ट और सुखी व्यक्ति बताया गया है। भगत जी संतोषी हैं।
  • वह अपनी मामूली कमाई से भी संतुष्ट हैं। छह आने आते ही वह चूरन बेचना बंद कर देते है। भगत जी को लोभ नहीं है। वह व्यापार को शोषण का साधन नहीं मानते, प्यास से मुक्त – भगत जी को प्यास का जरा भी भान नहीं है।
  • उन्हें संग्रह की भावना नहीं है। वे उतना ही पैसा कमाना चाहते हैं, जितना जीने के लिए जरूरी है। भगत जी को आवश्यकता का ज्ञान है। बाजार उन्हें आकर्षित करने में असमर्थ है। भगत जी अमीर और बहुत पढ़े-लिखे नहीं हैं लेकिन उनके संतोषी स्वभाव के कारण सभी उनका सम्मान करते हैं। लोग बाजार में उनका अभिनंदन करते हैं। इस कारण लेखक ने अर्थहीन कहा है l

अन्य विकल्पों की जानकारी -

(ब) व्यापारी : अर्थ की दृष्टि से यह सही उत्तर नहीं होता l

(स) भिखारी : अकिंचित्कर शब्द हीनता को दर्शाता है ना कि भिखारी शब्द को l

(द) ठग : यह विकल्प सही नहीं है क्योंकि यह शब्द का सही अर्थ प्रदर्शित नहीं करता l

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