लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा कैसे लगाया
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िेखक उस पुत्र नवयोनगनी के दु:ख का अंदाजा िगाने के निए नपछिे साि अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने िगा नजसके पास दु:ख प्रकट करने का अनधकार तथा अवसर दोनों था परन्तु यह बुकढ़या तो इतनी असहाय थी कक वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं मना सकती थी
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लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दुःख का अंदाजा लगाने के लिए पीछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा जिसके पास दुख प्रकट करने का अधिकार तथा अवसर दोनों था परंतु यह बढ़िया तो इतनी असहाय थी कि वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं बना सकते थे
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