लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को 'या की पवित्र अधि' क्यों कहा है?
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Answer:
लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को 'यज्ञ की पवित्र अग्नि' इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व देशवासियों के प्रति समर्पित था।
Explanation:
लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमककहा है। फादर के मन में सब परिचितों के प्रति सद्भावना और ममता थी । वे सबकेप्रति वात्सल्य भाव रखते थे। वे तरल-हृदय थे। वे कभी किसी से कुछ चाहते नहींथे, बल्कि देते ही देते थे। वे हर दुख में साथी होते थे और सुख में बड़े-बुजुर्ग कीभाँति वात्सल्य देते थे। उन्होंने लेखक के पुत्र के मुंह में पहला अन्न भी डाला औरउसकी मृत्यु पर सांत्वना भी दी । वास्तव में उनका हृदय सदा दूसरों के स्नेह में पिघलारहता था। उस तरलता की चमक उनके चेहरे पर साफ दिखाई देती थी। लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को ‘यज्ञ की पवित्र अग्नि’ इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व देशवासियों के प्रति समर्पित था। जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि पवित्र होती है तथा उसके ताप में उष्णता होती है उसी प्रकार फादर बुल्के को याद करना शरीर और मन में ऊष्मा, उत्साह तथा पवित्र भावे भर देता है। अतः फादर की स्मृति किसी यज्ञ की पवित्र आगे और उसकी लौ की तरह आजीवन बनी रहेगी।
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