लेखक ने जिसे अनुमान से सेकंड विलास का टिकट खरीदा था वह गलत कैसे निकला
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लेखक ने इस अनुमान से सेकंड क्लास का टिकट खरीदा था कि उसे सेकंड क्लास के डिब्बे में एकांत मिलेगा ताकि वह अपनी नई कहानी के बारे में सोच सके। वह खिड़की के पास बैठकर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी लेना चाहता था, लेकिन उसका अनुमान गलत निकला। जब वह डिब्बे में चढ़ा तो के सामने की बर्थ पर एक नवाब साहब बैठे हुए थे।
व्याख्या :
‘लखनवी अंदाज’ पाठ में लेखक यशपाल ने भीड़ से बचने के लिए एकांत यात्रा करने की सोचकर सेकंड क्लास का रुपए का टिकट खरीदा क्योंकि सेकंड क्लास के डिब्बे में प्रबुद्ध वर्ग के लोग यात्रा करते थे और इस डिब्बे में अधिक भीड़ नहीं होती थी। लेखक अपनी नई कहानी के बारे में सोच विचार करने के लिए एकांत चाहता था और वह प्राकृति दृश्यों को भी देखना चाहता था। इसलिए उसने सेकंड क्लास का टिकट खरीदा। लेकिन उसका अनुमान गलत निकला और उसके अनुमान के विपरीत डिब्बे में उसे भीड़ मिली जिनमें एक नवाब प्रमुख थे।
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