लेखक ने लता मंगेशकर की गायकी को क्यों उजागर किया है
Answers
Answer:
लेखक ने लता की गायकी की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया है
लेखक ने लता की गायकी की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया हैसुरीलापन – लता के गायन में सुरीलापन है। उनके स्वर में अद्भुत मिठास, तन्मयता, मस्ती, लोच आदि हैं। उनका उच्चारण मधुर पूँज से परिपूर्ण रहता है।
लेखक ने लता की गायकी की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया हैसुरीलापन – लता के गायन में सुरीलापन है। उनके स्वर में अद्भुत मिठास, तन्मयता, मस्ती, लोच आदि हैं। उनका उच्चारण मधुर पूँज से परिपूर्ण रहता है।निर्मल स्वर – लता के स्वरों में निर्मलता है। लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है, वही उसके गायन की निर्मलता में झलकता है।
लेखक ने लता की गायकी की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया हैसुरीलापन – लता के गायन में सुरीलापन है। उनके स्वर में अद्भुत मिठास, तन्मयता, मस्ती, लोच आदि हैं। उनका उच्चारण मधुर पूँज से परिपूर्ण रहता है।निर्मल स्वर – लता के स्वरों में निर्मलता है। लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है, वही उसके गायन की निर्मलता में झलकता है।कोमलता – लता के स्वरों में कोमलता व मुग्धता है। इसके विपरीत नूरजहाँ के गायन में मादक उत्तान दिखता था।
लेखक ने लता की गायकी की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया हैसुरीलापन – लता के गायन में सुरीलापन है। उनके स्वर में अद्भुत मिठास, तन्मयता, मस्ती, लोच आदि हैं। उनका उच्चारण मधुर पूँज से परिपूर्ण रहता है।निर्मल स्वर – लता के स्वरों में निर्मलता है। लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है, वही उसके गायन की निर्मलता में झलकता है।कोमलता – लता के स्वरों में कोमलता व मुग्धता है। इसके विपरीत नूरजहाँ के गायन में मादक उत्तान दिखता था।नादमय उच्चार – यह लता के गायन की अन्य विशेषता है। उनके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों के आलाप द्वारा सुंदर रीति से भरा रहता है। ऐसा लगता है कि वे दोनों शब्द विलीन होते-होते एक-दूसरे में मिल | जाते हैं। लता के गानों में यह बात सहज व स्वाभाविक है।
लेखक ने लता की गायकी की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया हैसुरीलापन – लता के गायन में सुरीलापन है। उनके स्वर में अद्भुत मिठास, तन्मयता, मस्ती, लोच आदि हैं। उनका उच्चारण मधुर पूँज से परिपूर्ण रहता है।निर्मल स्वर – लता के स्वरों में निर्मलता है। लता का जीवन की ओर देखने का जो दृष्टिकोण है, वही उसके गायन की निर्मलता में झलकता है।कोमलता – लता के स्वरों में कोमलता व मुग्धता है। इसके विपरीत नूरजहाँ के गायन में मादक उत्तान दिखता था।नादमय उच्चार – यह लता के गायन की अन्य विशेषता है। उनके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों के आलाप द्वारा सुंदर रीति से भरा रहता है। ऐसा लगता है कि वे दोनों शब्द विलीन होते-होते एक-दूसरे में मिल | जाते हैं। लता के गानों में यह बात सहज व स्वाभाविक है।शास्त्रीये शुद्धता – लता के गीतों में शास्त्रीय शुद्धता है। उन्हें शास्त्रीय संगीत की उत्तम जानकारी है। उनके गीतों में स्वर, लय व शब्दार्थ का संगम होने के साथ-साथ रंजकता भी पाई जाती है।
HOPE IT HELPS YOU. PLS LIKE AND FOLLOW...
MARK AS BRAINLIEST..