लेखक ने रेल के पहिये की आवाज़ को 'संक्रामक' कहा है| 'संक्रामक' से लेखक का क्या आशय होगा?
Hindi Class X SCERT Telangana Ch 9
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संक्रामक का अर्थ होता है जो स्पर्श या संसर्ग से फैलता है|रेल जब पुल पर चलती है तो पहिओं की आवाज बहोत बढ़ती है|उससे हम न डर कर ,नफ्रत न करते हुए पसंद करे तो पहिओं का आवाज भी बहोत आकर्षक लगती है| इसका नाद दूर दूर तक फैलता जाता है|इसलिए लेखक ने रेल की पहियों की आवाज को संक्रामक कहा|
प्रस्तुत प्रश्न दक्ष्ण गंगा गोदावरी नामक पाठ से दिया गया है|इस पाठ कविता विधा में है|यह कविता काका कालेकर जी से लिखा गया है|इनका पूरा नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेकर है|उनका जन्म दिसंबर १८८५ को महाराष्ट्र के सतारा में हुआ और मृत्यु १९९१ में हुई|इन्होने आजीवन गांधीवादी विचारधारा का पालन किया|इन्होंने हिन्दुस्तानी प्रचार सभा से,वार्धा के माध्यम से हिंदी की खूब सेवा की|इन्हों ने कहा था कि राष्ट्र भाषा प्रचार हमारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है|स्मरण यात्रा,धर्मोदय,लोकमाता,आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ है|वे राज्य सहभा के सदस्य भी रह चुके थे|Similar questions