लेखक ने संसार के तुलना कांच के महल से क्यों की है
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प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि आप दूसरों से जिस प्रकार का व्यवहार करेंगे, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही व्यवहार आपके साथ करेंगे। व्याख्या – लेखक कहता है कि सारा संसार काँच के महल जैसा है। जिस प्रकार, काँच के महल में अपना रूप साफ-साफ दिखाई देता है, उसी प्रकार, हमारी आदत की छाया ही हमें दिखाई देती है।
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- मालूम होता है यह तुम यह बड़ी हो कैसे हो
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