लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
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पहली बार लेखक ने सुमति को अपने यजमानों के पास जाने से इसलिए रोका क्योंकि सुमति वहां अधिक देर कर देते थे । परंतु दूसरी बार लेखक को वहां पर मिले बुध्यवचन की पुस्तक (कंजूरे)
पढ़ने के लिए समय चाहिए था इसलिए उन्होंने सुमति को अपने यजमानों के पास जाने की अनुमति दे दी
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लेखक जानता था कि शेकर विाहर में सुमति के यजमान रहते हैं। सुमति उनके पास जाकर बोध गया के गंडों के नाम पर किसी भी कपड़े का गंडा देकर दक्षिणा वसूला करते थे। इस काम में वे हफ़्ता लगा देते, इसलिए मना कर दिया।
परंतु दूसरी बार लेखक ने उसे रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि वे अकेले रहकर मंदिर में रखी हुई हस्तलिखित पोथियों का अध्ययन करना चाहते थे।
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