लेखक ने तक्षशिला के गांव की और क्यों रुक किया गांव के बाजार का दृश्य कैसा था from hamid khan
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Explanation:
लेखक भारत के निवासी थे। एक बार गर्मियों में वह तक्षशिला के खंडहर देखने गए थे। गर्मी के कारण लेखक का भूख प्यास से बुरा हाल था। खाने की तलाश में वह रेलवे स्टेशन से आगे बसे गाँव की ओर चला गया। वहाँ तंग और गंदी गलियों से भरा बाज़ार था, वहाँ पर खाने पीने का कोई होटल या दुकान नहीं दिखाई दे रही थी और लेखक भूख प्यास से परेशान था। तभी एक दुकान पर रोटियाँ सेंकी जा रही थीं जिसकी खुशबू से लेखक की भूख और बढ़ गई। वह दुकान में चला गया और खाने के लिए माँगा। वहीं हामिद खाँ से परिचय हुआ।
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लेखक तक्षशिला के खंडहर देखने गए थे। उन्हें भूख व प्यास लगी थी इस कारण खाने की तलाश में वे गांव की ओर निकल पड़े।
- लेखक कुछ खाने की तलाश में रेलवे स्टेशन से आगे गांव की ओर बढ़ चले ।
- हामिद खान पाकिस्तानी मुसलमान था। वह तक्षशिला के गांव में होटल चलता था, लेखक जब गांव में खाना खाने आए तो वह हामिद खान से मिले।
तक्षशिला के बाज़ार का दृश्य
-बाज़ार में तंग गलियां थी। दुकानें थी।
एक दुकान से रोटियां सेंकने की खुशबू आ रही थी। लेखक उस होटल में चले गए, वहां उन्हें हामिद मिला।
- हामिद ने लेखक से पूछा कि आप हिन्दू हो या मुस्लिम, जब लेखक ने बताया कि वह हिन्दू है तो हामिद ने कहा कि हिन्दू होकर आप मुस्लिम की दुकान पर आए हो।