लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है ?
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फादर बुल्के मानवीय करुणा की प्रतिमूर्ति थे। उनके मन में सभी के लिए प्रेम भरा था जो उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देता था ।वे लोगों को अपने शुभाशीषो से भर देते थे। उनकी आंखों में असीम वात्सल्य तैरता रहता था। वे जिससे भी एक बार मिल लेते थे, सुख दुख में हमेशा उसके साथ रहते थे। किसी भी मानव का दुख उनसे देखा नहीं जाता था । उसके कष्ट दूर करने के लिए वे यथाशक्ति प्रयास करते थे।
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लेखक इ फ़ादर बुल्के को ''मानवीय करूणा के दिव्य चमक ''इसलिए कहा है क्योंकि फ़ादर के हृदय में मानव मात्र के प्रति करूणा की असीम भावना विद्दमान थी। उनके मन में अपने हर एक प्रियजन के लिए ममता और अपनत्व का भावना उमड़ता रहता था। वे लोगों को अपने आशीषों से भर देते थे।
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