लेखक ने वीरों को देवदार के वृक्षों के समान क्यों कहा है
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लेखक ने वीरों को देवदार के वृक्ष की तरह इसलिए कहा है क्योंकि देवदार के वृक्ष स्वयं पैदा होते हैं और अपने आप को मजबूत करके दूसरों का सहारा बनते हैं, दूसरों के काम आते हैं।
वीर पुरुष भी बिल्कुल देवदार के वृक्ष की तरह होते हैं। वह स्वयं अपने बल पर अपना निर्माण करते हैं। अपनी राह बनाते हैं फिर स्वयं में मजबूत होकर दूसरों का सहारा बनते हैं, दूसरों के काम आते हैं। इसीलिए लेखक ने वीरों को देवदार के वृक्ष के समान कहा है।
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