लेखक और प्रेमचन्द की आर्थिक स्थिति की तुलना कीजिए।
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तुम मुझ पर या हम सभी पर हँस रहे हो, उन पर जो अँगुली छिपाए और तलुआ घिसाए चल रहे हैं, उन पर जो टीले को बरकाकर बाजू से निकल रहे हैं। तुम कह रहे हो-मैंने तो ठोकर मार-मारकर जूता फाड़ लिया, अँगुली बाहर निकल आई, पर पाँव बच रहा और मैं चलता रहा, मगर तुम अँगुली को ढाँकने की चिंता में तलुवे का नाश कर रहे हो। तुम चलोगे कैसे?
लेखक के अनुसार प्रेमचंद किन पर हँस रहे हैं?
प्रेमचंद के मुसकराने में लेखक को क्या व्यंग्य नज़र आता है?
प्रेमचंद को किनके चलने की चिंता सता रही है?
लेखक ने प्रेमचंद को साहित्यिक पुरखा कहा है, स्पष्ट कीजिए।
प्रेमचन्द के फटे जूते पाठ के सन्दर्भ में आपकी दृष्टि में वेश-भूषा के प्रति लोगों की सोच में आज क्या परिवर्तन आया है?
पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए- तुम परदे का महत्व ही नहीं जानते, हम परदे पर कुर्बान
Answer:
pel
girl hai toaa pelmai bhi pelta hoo